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29 December 2018

3691 - 3695 ताजमहल प्यार दस्तक बेईमान इंसान तकलीफ राज़ मक़ान मशवरा अल्फ़ाज़ दिल शायरी


3691
कितना बेईमान हैं,
ये कमबख्त दिल...
धड़का भी तो,
बस तेरीही दस्तकपें...!

3692
प्यारकी आँचसे तो,
पत्थर भी पिघल जाता हैं;
सचे दिलसे साथ दे तो,
नसीब भी बदल जाता हैं;
प्यारकी राहोंपर,
मिल जाए सच्चा हमसफ़र;
तो कितना भी गिरा हुआ इंसान भी,
संभाल जाता हैं.......!

3693
हर तकलीफसे इंसानका,
दिल दुखता बहुत हैं;
पर हर तकलीफसे,
इंसान सीखता भी बहुत हैं...

3694
दिलके राज़ पहुँच गये ग़ैरोंतक...
अपनोसे बस मशवरा किया था.......!

3695
टूटे मक़ान वाला,
दिलमें ताजमहल रखता हूँ;
बात गहरी मगर,
अल्फ़ाज़ सरल रखता हूँ...!