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सोचकर बाज़ार गये था,
कुछ अश्क़ बेचने...
हर खरीददार बोला,
तोहफे बिका नहीं करते...!
6927तेरी यादोंकी नौकरीमें,दीदारकी तनख़्वाह मिलती हैं;खर्च हो जाते हैं अश्क़ नैनोंके,रहमत कहाँ उधार मिलती हैं...?
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मेरे अश्क़ भी हैं इसमें,
ये शराब उबल ना जाएँ...
मेरा जाम छूनेवाले,
तेरा हाथ जल ना जाएँ.......
6929अश्क़ अच्छेही तो हैं...मसला ग़म बहानेका अगर हैं...!
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बेवफ़ाईका मुझे,
जबभी ख़याल आता हैं...
अश्क़ रुख़सारपर,
आँखोंसे
निकल जाते हैं...