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20 December 2020

6926 - 6930 तोहफे याद दीदार शराब जाम बेवफ़ाई ख़याल आँखोंकी नमी अश्क़ शायरी

 

6926
सोचकर बाज़ार गये था,
कुछ अश्क़ बेचने...
हर खरीददार बोला,
तोहफे बिका नहीं करते...!

6927
तेरी यादोंकी नौकरीमें,
दीदारकी तनख़्वाह मिलती हैं;
खर्च हो जाते हैं अश्क़ नैनोंके,
रहमत कहाँ उधार मिलती हैं...?

6928
मेरे अश्क़ भी हैं इसमें,
ये शराब उबल ना जाएँ...
मेरा जाम छूनेवाले,
तेरा हाथ जल ना जाएँ.......

6929
अश्क़ अच्छेही तो हैं...
मसला ग़म बहानेका अगर हैं...!

6930
बेवफ़ाईका मुझे,
जबभी ख़याल आता हैं...
अश्क़ रुख़सारपर,
आँखोंसे निकल जाते हैं...