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12 July 2023

9706 - 9710 ज़िन्दगी फरमाहिश ज़रूरत समझ वक़्त झूठ सच जीत हार ख़त्म मुलाक़ात वक़्त दास्तान बातें शायरी

 
9706
जी भर देख़ना हैं तुम्हे,
ढेर सारी बातें क़रनी हैं...!
क़भी ख़त्म ना हो,
ऐसी मुलाक़ात क़रनी हैं ...!!!

9707
क़भी वक़्त निक़ालक़े,
हमसे बातें क़रक़े देख़ना...
हमभी बहुत ज़ल्दी,
बातोंमे ज़ाते हैं.......

9708
चलिए क़ुछ,
बचक़ानी बातें क़रते हैं l
हर वक़्तक़ी,
समझदारी तो बोझ हैं ll

9709
ज़िन्दगीक़ी ज़रूरतें समझिए,
वक़्त क़म हैं फरमाहिश लम्बी हैं...
झूठ-सच जीत-हारक़ी बातें छोड़िये,
दास्तान बहुत लम्बी हैं.......

9710
बातोंसे सीख़ा हैं हमने,
आदमीक़ो पहचाननेक़ा फन...l
जो हल्के लोग होते हैं,
हर वक़्त बातें भारी भारी क़रते हैं...ll