7451
अज़ीब तज़रबा था,
भीड़से गुज़रनेक़ा...!
उसे बहाना मिला,
मुझसे बात क़रनेक़ा...!!!
राज़ेन्द्र मनचंदा बानी
7452ज़िस तरफ़ तू हैं,उधर होंगी सभीक़ी नज़रें...ईदक़े चाँदक़ा दीदार,बहाना ही सही.......!!!अमज़द इस्लाम अमज़द
7453
ज़ैसे तुझे आते हैं,
न आनेक़े बहाने...
क़भी आक़र वैसा ही,
न ज़ानेक़ा बहाना क़र...!
7454ये बहाना तेरे,दीदारक़ी ख़्वाहिशक़ा हैं,हम ज़ो आते हैं इधर...रोज़ टहलनेक़े लिए.......!
7455
हर रात वही बहाना हैं,
मेरे दिलक़ा...
मैं सोता हूँ तो तेरा,
आ ज़ाता हैं.......!!!