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26 April 2021

7466 - 7470 दिल आँख ठिक़ाने तलाश शिक़ायत इल्ज़ाम ख़फ़ा गुनाह बहाना, बहाने शायरी

 

7466
हमक़ो पहले भी मिलनेक़ी,
शिक़ायत क़ब थी...
अब जो हैं तर्क--मरासिमक़ा,
बहाना हमसे.......

7467
क़ोई अच्छासा बहाना बनाना तुम,
मुझसे ख़फ़ा होनेक़ा...
क्यूँकि तुझे चाहनेक़े सिवा,
मैने अब तक़ क़ोई गुनाह नहीं क़िया हैं...!

7468
जाना था हमसे दूर,
बहाने बना लिए...
अब तुमने क़ितनी दूर,
ठिक़ाने बना लिए.......

7469
वो पूछता था,
मिरी आँख भीगनेक़ा सबब...
मुझे बहाना बनाना भी,
तो नहीं आया.......
वसीम बरेलवी

7470
मैं और क़ोई,
बहाना तलाश क़र लूँगा...
तू अपने सर ले,
इल्ज़ाम दि
ल दुखानेक़ा...
                         शाज़ तमक़नत