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14 February 2018

2351 - 2355 दिल इश्क अजीब जुदाई अलविदा सादगी फरेब बेवफा गम सजा अल्फाज़ मोहब्बत खुशबु नजर शायरी


2351
कितनी अजीब जुदाई थी की,
तुझे अलविदा भी ना कह सका,
तेरी सादगीमें इतना फरेब था की
तुझे तुझे बेवफा भी ना कह सका !

2352
हर अल्फाज़ दिलका दर्द हैं मेरा,
पढ़ लिया करो ,
कौन जाने कौनसी शायरी,
आखिरी हो जाये.......

2353
गम लिखूँ या इश्कमें,
दर्दकी सजा लिखूँ...........!
सबने तो लिखी शायरी,
क्यूँ ना मैं दवा लिखूँ...........!!!

2354
खींच लाती हैं मुझको,
तेरी मोहब्बत वर्ना . . .
आखिरी बार तो मिला हूँ मैं,
कई बार तुझसे . . . . . . .।

2355
न जाने कहाँ रहती हो तुम ...
खुशबु आती हैं ...
नजर नहीं आती हो तुम .......