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9 August 2018

3136 - 3140 दिल इश्क जिंदगी वक्त साथ रिश्ते एहसास बातें आदत हौसले जिस्म ख्वाहिशें सनम जहर दर्द शायरी


3136
वक्तके साथ साथ,
सब कुछ बदल जाता हैं;
लोगभी, रिश्तेभी, एहसासभी,
और कभी कभी हम भी.......

3137
किसीसे रोज मिलनेसे,
इश्क हो या ना हो,
पर किसीसे रोज बातें करनेसे,
उसकी आदत हो ही जाती हैं।

3138
"हर रोज गिरकर भी,
मुक्कमल खड़े हैं...!
जिंदगी देख,
मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं.......!"

3139
कभी तो खोदकर देखो,
तुम अपने जिस्मकी कब्रें...!
मिलेंगी ख्वाहिशें जिनको,
तुम अन्दर ही मार देते हो.......!!!

3140
मैं रोज पिलाता हूँ,
दिलको जहरका प्याला;
सनम तूने दिया एक दर्द...
जो मेरे अंदर हैं,
बेदर्द...मरता ही नहीं !