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23 December 2021

7996 - 8000 दिल इश्क़ बर्बाद ज़िंदग़ी बेवफ़ाई इल्ज़ाम शायरी

 

7996
तुम मेरे लिए क़ोई,
इल्ज़ाम ढूँढ़ो...
चाहा था तुम्हे,
यहीं इल्ज़ाम बहुत हैं...

7997
इश्क़क़ी बेताबियाँ,
होशियार हों l
अहल-ए-दिलपर,
ज़ब्तक़ा इल्ज़ाम हैं ll
        अक़बर हैदरी

7998
क़िसे इल्ज़ाम दूँ मैं,
अपनी बर्बाद ज़िंदग़ीक़ा...
वाक़ईमें मोहब्बत,
ज़िंदग़ी बदल देती हैं...!

7999
हमपर तुम्हारी चाहक़ा,
इल्ज़ाम ही तो हैं...
दुश्नाम तो नहीं हैं,
ये इक़राम ही तो हैं...
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

8000
ज़ानक़र भी वो मुझे ज़ान पाए,
आज़ तक़ वो मुझे पहचान पाए,
ख़ुद ही क़र ली बेवफ़ाई हमने,
ताक़ि उनपर क़ोई इल्ज़ाम आये...