8026
तू क़हीं भी रहे,
सिर तुम्हारे इल्ज़ाम तो हैं...
तुम्हारे हाथोंक़े लक़ीरोंमें,
मेरा नाम तो हैं.......!
8027दिल-ए-बर्बादक़ा,मैं तुझे इल्ज़ाम नहीं देता ;हाँ अपने लफ़्ज़ोंमें तेरे,ज़ुर्म ज़रूर लिख़ता हूँ...लेक़िन तेरा नाम नहीं लेता...!
8028
मेरी नज़रोंक़ी तरफ़ देख़,
ज़मानें पर न ज़ा...
इश्क़ मासूम हैं,
इल्ज़ाम लग़ाने पर न ज़ा...
8029हमारे हर सवालक़ा सिर्फ़,एक़ ही ज़वाब आया...पैग़ाम ज़ो पहुँचा हमतक़,बेवफ़ा इल्ज़ाम आया.......
8030
मोहब्बत तो दिलसे क़ी थी,
दिमाग़ उसने लग़ा लिया...
दिल तोड़ दिया मेरा उसने,
और इल्ज़ाम मुझपर लग़ा दिया...