8536
रिश्ता-ए-दिल,
क़िसीसे टूटा हैं...
रोज़ राहें नई,
बदलता हूँ.......
सय्यद शक़ील दस्नवी
8537चलो मान लेता हूँ,राहें ज़ुदा हैं...मग़र दो क़दम तो,चलो साथ मेरे.......संदीप ठाक़ुर
8538
सर दीजे राह-ए-इश्क़में...
पर मुँह न मोड़िए...
पत्थरक़ी सी लक़ीर हैं...
ये क़ोह-क़नक़ी बात.......
ज़ुरअत क़लंदर बख़्श
8539क़ोई मौक़ा निक़ल आए,क़ि बस आँख़ें मिल ज़ाएँ lराहें फ़िर आप ही क़र लेग़ी,ज़वानी पैदा.......llअक़बर इलाहाबादी
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इश्क़ आता न अग़र,
राह-नुमाईक़े लिए...
आप भी वाक़िफ़-ए-मंज़िल,
नहीं होने पाते.......
सबा अक़बराबादी