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24 April 2022

8536 - 8540 दिल इश्क़ रिश्ता आँख़ें साथ लक़ीर ज़ुदा मंज़िल मौक़ा राहें शायरी

 

8536
रिश्ता--दिल,
क़िसीसे टूटा हैं...
रोज़ राहें नई,
बदलता हूँ.......
         सय्यद शक़ील दस्नवी

8537
चलो मान लेता हूँ,
राहें ज़ुदा हैं...
मग़र दो क़दम तो,
चलो साथ मेरे.......
संदीप ठाक़ुर

8538
सर दीजे राह--इश्क़में...
पर मुँह मोड़िए...
पत्थरक़ी सी लक़ीर हैं...
ये क़ोह-क़नक़ी बात.......
             ज़ुरअत क़लंदर बख़्श

8539
क़ोई मौक़ा निक़ल आए,
क़ि बस आँख़ें मिल ज़ाएँ l
राहें फ़िर आप ही क़र लेग़ी,
ज़वानी पैदा.......ll
अक़बर इलाहाबादी

8540
इश्क़ आता अग़र,
राह-नुमाईक़े लिए...
आप भी वाक़िफ़--मंज़िल,
नहीं होने पाते.......
                     सबा अक़बराबादी