6421
गमे-हस्तीका असद,
किससे जुज-मर्ग इलाज;
कि शम्अ हर रंगमें,
जलती हैं सहर होनेतक...
मिर्जा गालिब
6422
ना जाने पहले
जैसा,
हमारा अंदाज कब होगा...
खुदा ही जाने
इस बीमारीका,
इलाज कब होगा.......!
6423
इलाज-ए-दर्द-ए-दिल तुमसे,
मसीहा हो नहीं सकता...
तुम अच्छा कर नहीं सकते,
मैं अच्छा हो नहीं सकता...
मुज़्तर ख़ैराबादी
6424
तुम्हारी
एक मुस्कानसे,
सुधर गई तबियत
मेरी...
बताओ ना तुम
इश्क़ करते हो,
या इलाज करते
हो.......!
6425
जख्म दिए हो तो,
इलाज भी बता दो...
मरीज हूँ तुम्हारे इश्क़का,
अब खुद ही
दवा पिला दो...