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15 August 2019

4606 - 4610 दिल उम्र बदन भूल घाव डर बेजान जिस्म मरहम जख्म शायरी


4606
जख्म खुद बता देंगे की,
तीर किसने मारा हैं...
हम कहाँ कहते हैं कि,
ये काम तुम्हारा हैं...

4607
कुछ जख्म ऐसे हैं,
कि दिखते नहीं...
मगर ये मत समझिये,
कि दुखते नहीं...!

4608
काफी दिनोंसे,
कोई नया जख्म नहीं मिला...
पता तो करो,
"अपने" हैं कहां...?

4609
बदनके घाव दिखाकर,
जो अपना पेट भरता हैं...
सुना हैं वो भिखारी,
जख्म भर जानेसे डरता हैं !

4610
उम्रभर गालीब,
यहीं भूल करता रहाँ...
जख्म दिलपें था और,
बेजान जिस्मपर मरहम लगाता रहा...!