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17 March 2021

7281 - 7285 दिल गम कातिल नज़र अदा नाराज गिला सितम यक़ीन जुदाईदहलीज यार शायरी

 

7281
बडी कातिलाना अदा हैं,
मेरे यारकी...!
नज़र भी हमपें,
और नाराजगी भी हमसे...!!!

7282
जो कुछ भी हूँ पर, यार...
गुनहगार नहीं हूँ,
दहलीज हूँ, दरवाजा हूँ,
पर मैं दीवार नहीं हूँ.......

7283
धमकिया देता हैं और...
वो भी जुदाईकी !
मोहोबतमें भी देखो...
बदमाशिया मेरे यारकी...!!!

7284
गमे-जहाँ हो,
गमे-यार हो कि तेरे सितम...
जो आये आये कि हम,
दिल कुशादा रखते हैं.......
फैज अहमद

7285
करें किसका यक़ीन,
यहाँ सब अदाकार ही तो हैं...
गिला भी करें तो किससे करें,
सब अपने यार ही तो हैं.......!