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24 December 2019

5231 - 5235 दिल चाह मोहब्बत तकल्लुफ़ सितम रहगुज़र दर्द भीड लौटना शायरी


5231
तुम लौटके आनेका,
तकल्लुफ़ मत करना...
हम एक मोहब्बतको,
दोबारा नहीं करते.......

5232
मिज़ाज़ अच्छा है आज हमारा,
सितम करना है तो लौट आओ...!

5233
तुम्हें पसंद थी ना,
शायरियाँ मेरी...
सुनो लौट आओ,
कुछ लिखा है तुम्हारे लिये...!

5234
बैठे है रहगुज़र पर,
दिलका दीया जलाये...
शायद वो दर्द जाने,
शायद वो लौट आये...!

5235
तैरता हुआ कागज मेरा,
लौट आया वापस;
उस किनारे पर भीड बहुत थी,
उनके चाहने वालोकी.......