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28 February 2018

2411 - 2415 दिल ज़िन्दगी मोहब्बत हसीना पाबंदी जनाज़े वजूद निशाँ तसल्लियाँ दर्द साथ बारिश शायरी


2411
एक ही शहरसे इतने जनाज़े ग़ालिब,
हसीनाओपें कोई पाबंदी लगाओ !

2412
मोहब्बत यूँ ही किसीसे,
हुआ नहीं करती...,
अपना वजूद भूलाना पडता हैं,
किसीको अपना बनानेके लिए.......

2413
ना किया करो कभी किसीसे,
दिल दुखानेवाली बात,
सुना हैं दिलपें निशाँ
रह जाते हैं सदियोंतक. 
2414
अकेले ही गुजारनी पड़ती हैं,
ये ज़िन्दगी...!
लोग तसल्लियाँ तो देते हैं,
पर साथ नहीं...!

2415
आज बारिश भी,
मेरे दर्दकी तरह हैं...
हल्की हल्की हैं,
पर होती जा रहीं हैं...