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22 June 2019

4391 - 4395 दिल दर्द ज़िन्दगी जहाँ लिबास कफ़न मुश्किल ज़िद नजरे राह मुस्करा सफ़र शायरी


4391
ज़िन्दगी रोज़ कोई ना कोई,
ताज़ा सफ़र मांगती हैं...
और थकान शामको,
अपना घर मांगती हैं.......

4392
बिना लिबास आए थे,
इस जहाँमें;
बस एक कफ़नकी खातिर,
इतना सफ़र करना पड़ा.......

4393
माना थोडा मुश्किल हैं ये सफ़र,
पर तुझ तक पहुँचना ज़िद हैं मेरी...!

4394
हाथ तो उठाया था आपने,
अगर नजरे भी उठा लेती...
कोई और न् थाम लेता इसे,
तुम मेरी हमसफ़र बन जातीं...

4395
ज़िन्दगीकी राहोंमें मुस्कराते रहो हमेशा,
क्योंकि...
उदास दिलोंको हमदर्द तो मिलते हैं,
हमसफ़र नहीं...