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20 April 2018

2626 - 2630 दिल दिमाग किताब अल्फ़ाज़ ख़ामोश दुश्मन कातिल मज़ा वफा नाम याद शायरी


2626
किताबोंकी तरह हैं,
हम भी.......!
अल्फ़ाज़से भरपूर,
मगर ख़ामोश.......!!!

2627
परिचय देनेमें,
निदा फ़ाजली साहबकी एक पंक्ति,
"उसके दुश्मन हैं बहुत,
इंसान अच्छा ही होगा..."

2628
मरनेका मज़ा तो
तब हैं...,
जब कातिल भी,
जनाजेपें आकर रोये...!

2629
वफाका नाम मत लो यारो ,
वफा दिलको दुखाती हैं;
वफाका नाम लेते हो.
तो इक बेवफा याद आती हैं l

2630
कमबख्त दिलका मामला हैं,
दिमागका होता तो,
समझा दिया होता.......