3361
अक्सर पुछते हैं लोग,
किसके लिए लिखते
हो;
अक्सर कहता हैं दिल,
"काश कोई
होता..."
3362
कुछ रिश्तोंके नाम नहीं होते...
और कुछ रिश्ते
नामके ही
होते हैं...!
3363
दुनियाँ समझ रहीं हैं,
मैने परदा किया
हैं...
सच ये हैं तुझे बसाके इन
नैनोमें,
हमने तुझको दुनियाँसे
छुपा लिया हैं...!
3364
बड़ी हैरतमें
हैं,
मेरी हथेलीको देखनेवाले...
तेरे नामके
सिवा और कुछ,
नजरही नहीं
आता...!
3365
मैं खुद हैरान
हूँ,
अपने सब्रका
पहलू देखकर...
उसने याद करना
छोड़ दिया,
मुझे इंतज़ार उसका आज
भी हैं...!