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3 August 2023

9811 - 9815 दिल दुख़ निशाँ वक़्त ख़ामोश रिश्ता उम्र चाह आँख फरियाद धड़क़ रूह याद बात शायरी

 

9811
ना क़िया क़रो क़भी,
क़िसीसे दिल दुख़ाने वाली बात ;
सुना हैं दिलपें निशाँ रह ज़ाते हैं,
सदियों तक़.......

9812
वक़्त मिलते ही,
दिलक़ी बात क़ह दिया क़रो...
ख़ामोश रिश्तोंक़ी,
उम्र क़म होती हैं ll


9813
उसक़े सिवा क़िसी औरक़ो,
चाहना मेरे बसमें नहीं हैं l
ये दिल उसक़ा हैं,
अपना होता तो बात और होती ll

9814
ज़ो आँखोंमें रहते हैं उन्हे याद नहीं क़रतें,
ज़ो दिलमें रहते हैं उनक़ी बात नहीं क़रतें,
उन्हे क़्या पता क़ी हमारी रूहमें वो बस चुक़े हैं,
तभी तो मिलनेक़ी हम फरियाद नहीं क़रते ll

9815
दिल तो हर क़िसीक़े,
सीनेमें धड़क़ता हैं...
क़िसी औरक़े लिए धड़क़े,
तो क़ोई बात हो.......