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6 October 2020

6591 - 6595 दिल धड़कन लम्हा जिंदगी इश्क जुल्फें आइना क़सम शायरी

 

6591
हाथ टूटे मैंने गर,
छेडी हो जुल्फें आपकी...
आपके सरकी क़सम,
बादेसबा थी मैं न था...!

6592
आइनेमें लगी,
बिंदियोंकी क़सम...
हूँ मैं ज़िंदा अभीतक,
सिर्फ तेरेही लिए सनम...!

6593
मेरे दिलमें,
एक धड़कन तेरी हैं !
उस धड़कनकी क़सम,
तू जिंदगी मेरी हैं...!!!

6594
इश्कका रोग हैं,
जाता नहीं क़समसे...!
गलेमें डालकर,
सारे ताबीज देखे मैंने...!!!

6595
साथ गुज़ारे हुए,
उन लम्होंकी क़सम...
वल्लाह हूरसे भी,
बेहतर हैं मेरी सनम...!