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28 June 2017

1441 - 1445 मोहब्बत बेइंतहा दिन रात खुशियाँ उम्र एहसास वक्त धड़कन नाम बेहतर जान शायरी


1441
खुशियाँ बटोरते बटोरते उम्र गुजर गई,
पर खुश ना हो सके,
एक दिन एहसास हुआ,
खुश तो वो लोग थे जो खुशियाँ बांट रहे थे !

1442
जब वक्तकी धड़कनको थाम लेता हैं कोई,
जब हम सोते हैं रातोंमें और नाम लेता हैं कोई,
मोहब्बत उनसे बेइंतहा हो जाती हैं दोस्तो.....
जब हमसे बेहतर हमें जान लेता हैं कोई.......

1443
नज़रें छुपाकर क्या मिलेगा,
नज़रें मिलाओ,
शायद...
हम मिल जाए.......!

1444
उसके सिवा किसी औरको चाहना,
मेरे बसमें नहीं हैं l 
ये दिल उसका हैं,
अपना होता तो बात और होती l

1445
भुलाकर दर्द-ओ-गम ज़िंदगीके...
इश्क़के खुमारमें जी लेंगे,
बसाकर मोहब्बतका आशियाना,
यादोंके हिसारमें जी लेंगे...!