2501
सिर्फ उसनेही मुझे,
अपना
न समझा...
जमाना तो आज
भी मुझे,
उसका
दीवाना कहता हैं !
2502
जलते हुए दिलको और मत
जलाना,
रोती हुई आँखोंको और मत
रुलाना,
आपकी जुदाईमें हम
पहलेसे मर
चुके हैं,
मरे हुए इंसानको और मत
मारना...
2503
रोक लेना मेरा
जनाजा,
जब उसका
घर आये ।
शायद वो झाँकले खिड़कीसे,
और मेरा दिल
धड़क जाये.......!
2504
कभी रोके
मुस्कुराए ,
कभी मुस्कुराके रोए,
जब
भी तेरी याद
आई...
तुझे भुलाके रोए,
एक
तेरा ही तो
नाम था,
जिसे
हज़ार बार लिखा,
जितना लिखके
खुश हुए...
उससे ज़यादा मिटाके रोए.......!
2505
सदियोंसे जागी आँखोंको,
एक बार सुलाने
आ जाओ;
माना कि तुमको
प्यार नहीं,
नफ़रत ही जताने
आ जाओ;
जिस मोड़पें हमको छोड़ गए,
हम बैठे अब
तक सोच रहे;
क्या भूल हुई
क्यों जुदा हुए...
बस यह समझानेतो आजाओ.......