Showing posts with label दिल प्यार ज़ुल्म मोहब्बत रुकसत वक़्त कारवाँ शायर आह शायरी. Show all posts
Showing posts with label दिल प्यार ज़ुल्म मोहब्बत रुकसत वक़्त कारवाँ शायर आह शायरी. Show all posts

26 September 2020

6541 - 6545 दिल प्यार ज़ुल्म मोहब्बत रुकसत वक़्त कारवाँ शायर आह शायरी

 

6541
मेरी आहका तुम,
असर देख लेना...
वो आएँगे थामे जिगर,
देख लेना.......!

6542
मुफ़्तमें नहीं मिलता यहाँ कुछ यारों...
जब दिलसे आह निकलती हैं,
तो ही लोगोंकी वाह निकलती हैं...!
एक ऐसा भी वक़्त होता हैं,
मुस्कुराहट भी आह होती हैं.......!!!
जिगर मुरादाबादी

6543
इधरसे भी हैं,
सिवा कुछ उधरकी मजबूरी...
कि हम ने आह तो की,
उनसे आह भी हुई.......
                      जिगर मुरादाबादी

6544
मैं ज़ुल्मते शबमें ले के निकलूंगा,
अपने दर मांदा कारवाँको;
शरर फ़शां होगी आह मेरी,
नफ़स मेरा शोला बार होगा...

6545
शायरोसे क्या पुछते हो,
शायरी क्या होती हैं...
दरदे दिलसे,
आह जो निकल आती हैं...
प्यार करने वालोसे पुछो,
मुहब्बत क्या होती हैं...
टूटे दिलसे पुछो,
अपनोंसे रुकसत क्या होती हैं.......