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26 May 2020

5926 - 5930 दिल बात दर्द जख्म तमन्ना साँस याद पैगाम तन्हा उम्मीद इजहार आँख ग़म शायरी



5926
दिलके जख्म भी दिखाऊँगा उसे,
उसकी ये तमन्ना भी पूरी करूँगा मैं...
जब आखिरी साँस आएगी,
उसके बाद भूल जाऊँगा उसे...

5927
ना सलाम याद रखना,
ना पैगाम याद रखना;
छोटीसी तमन्ना हैं,
मेरा नाम याद रखना...!

5928
तन्हाइयोंके ग़म आँखोंसे बहे जाते हैं,
कुछ बात दर्द हैं जो यूँहीं जीए जाते हैं l
बहुत हैं तमन्ना कि एक मुस्कान चेहरेपें खिले,
मगर तेरी उम्मीदमें हम उदास हुए जाते हैं ll

5929
तेरी आजादियाँ सदके सदके,
मेरी बर्बादियाँ सदके सदके,
मैं बर्बाद-ए-तमन्ना हूँ,
मुझे बर्बाद रहने दो l

5930
इस नकाबपोष दुनियामें,
इजहार-ए-तमन्नाकी
तमन्ना काफी नही...
इजहार-ए-तामील की जाय,
नही तो हाथ मलनेके सीवा
दुसरा और कोई चारा नही...
                                   भाग्यश्री