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जब वो ''आप'' से,
''तुम'' को ''तू'' करदे...
मेरा मशवरा हैं, दोस्त,
तू ख़त्म गुफ़्तगू कर दे...
7237तुम शराफ़तको बाज़ारमें,क्यूँ ले आए हो, दोस्त...ये सिक्का तो,बरसोंसे नहीं चलता.......
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चालाकी कहाँ मिलती हैं,
मुझेभी बता दो, दोस्तों...
हर कोई ठग ले जाता हैं,
जरासा मीठा बोलकर...
7239तलाशी ले ले, ए दोस्त,तू भी मेरी...अगर जेबोंमें मज़बूरीके सिवा,कुछ मिले तो ये जिंदगी तेरी...
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कभी पसंद न आये साथ मेरा,
तो बता देना, ए दोस्त...
हम दिलपर पत्थर रखके,
तुम्हे गोली मार देंगे बड़े आरामसे...