Showing posts with label दिल मिलन दर्द जख्म निशाँ मिटा कब्र आशियाँ रूह शायरी. Show all posts
Showing posts with label दिल मिलन दर्द जख्म निशाँ मिटा कब्र आशियाँ रूह शायरी. Show all posts

1 August 2016

451 दिल मिलन दर्द जख्म निशाँ मिटा कब्र आशियाँ रूह शायरी


451

Rooh, Soul

दिलोंके दर्द दिखाए नहीं जाते,
जख्मोंके निशाँ मिटाए नहीं जाते,
रूहके मिलनको वो क्या जाने...
कब्रपें आशियाँ बसाये नहीं जाते...

Pains in the Heart are not shown,
Scars of the Wounds are not diminished,
What they would understand the meeting of Souls,
Though Houses are not build on Graveyards...