10096
तस्वीरकी मुस्कान,
अब भी वही हैं,
बस देखनेवालीआँखें,
बूढ़ी हो गई हैं…
10097
बने हुए हैं वो महफ़िलमें,
सूरत-ए-तस्वीर,
हरएकको ये गुमान हैं,
कि इधरको देखते हैं।
10098
बारिशकी बूँदोंमें झलकती हैं,
तस्वीर उनकी,
और हम उनसे मिलनेकी चाहतमें,
भीग जाते हैं…
बारिशकी बूँदोंमें झलकती हैं,
तस्वीर उनकी,
और हम उनसे मिलनेकी चाहतमें,
भीग जाते हैं…
10099
तेरी सूरत देखकर,
हज़ारोंने दिल हारे हैं,
कौन कहता हैं,
तस्वीरें जुआ नहीं खेलती…
10100
तस्वीर हैं खिंची हुई,
नाज़-ओ-नियाज़की,
मैं सर झुकाए और,
वो खंजर लिए हुए।
तस्वीर हैं खिंची हुई,
नाज़-ओ-नियाज़की,
मैं सर झुकाए और,
वो खंजर लिए हुए।