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27 September 2020

6546 - 6550 दिल मोहब्बत खफ़ा गजब कायनात रफ़्तार खबर ख्यालात क़सम शायरी

 

6546
तुम्हें कितनी मोहब्बत हैं,
मालूम नहीं......
मगर मुझे लोग आज भी,
तेरी क़सम देके मना लेते हैं...!!!

6547
हमारे घरसे जाना मुस्कुराकर,
फिर ये फ़रमाना...
तुम्हें मेरी क़सम,
देखो मिरी रफ़्तार कैसी हैं...
हसन बरेलवी

6548
ज़र्रा ज़र्रा कायनातका,
वाकिफ़ था, उसके ख्यालातोसे...
बस क़ हमे खबर होती तो,
क़समसे क्या बात थी.......

6549
खफ़ा भी हो तो,
मुंह मोड़कर नहीं जाना;
तुझे क़सम हैं,
मुझे छोड़क़र नहीं जाना...

6550
हम भी क्या,
गजबके पागल थे...
उसकी झूठी क़समोके लिए,
अपने कीमती दिल हार बैठे.......