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18 January 2018

2236 - 2240 दिल मोहब्बत नफरत दर्द याद हौसले जुदा लहर लफ्ज दुआ शख्स बेवफा बयाँ वफ़ा इश्क़ खामोश आँख डूब अंजाम शायरी


2236
वो पानीकी लहरोंपें क्या लिख रहा था;
खुदा जाने हरफ-ऐ-दुआ लिख रहा था;
मोहब्बतमें मिली थी नफरत उसेभी शायद;
इसलिए हर शख्सको शायद बेवफा लिख रहा था ।

2237
हैं दर्द सबके एक जैसे,
मगर हौसले जुदा - जुदा,
कोई टूटकर बिखर गया,
तो कोई मुस्कुराके चल दिया...
2238
किसीकी यादोंको रोक पाना मुश्किल हैं,
रोते हुए दिलको मनाना मुश्किल हैं,
ये दिल अपनोंको कितना याद करता हैं...
ये कुछ लफ्जोमें बयाँ कर पाना मुश्किल हैं l

2239
वफ़ाका दरिया कभी रुकता नहीं,
इश्क़में प्रेमी कभी झुकता नहीं,
खामोश हैं हम किसीके खुशीके लिए,
ना सोचोके हमारा दिल दुखता नहीं...!

2240
पानीमें तैरना सिखले मेरे दोस्त...
आँखोंमें डूबनेका अंजाम बुरा होता हैं.......!