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12 December 2019

5171 - 5175 दिल रिश्ते चेहरे दोस्त दुश्मन साजिश ख्वाहिश झूठ शायरी


5171
जरासा झूठ ही लिख दो,
कि तुम बिन दिल नहीं लगता...
हमारा दिल बहल जाए,
तो तुम फिर से मुकर जाना...!

5172
सचके चेहरेमें,
यहाँ झूठके फसाने देखे;
दुश्मनों को जब गौरसे देखा,
उनमे कई दोस्त पुराने देखे...

5173
कुछ अजीब है ये दुनिया,
यहाँ झूठ नहीं...
सच बोलनेसे,
रिश्ते टूट जाते है.......

5174
झूठ पकडना कितना,
मुश्कील होता है,
सच भी जब साजिशमें,
शामिल होता है...!

5175
सत्यको ख्वाहिश होती है,
कि सब उसे जान ले...
और,
झूठको हमेशा डर लगता है,
कि कोई उसे पहचान ले...