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20 January 2021

7066 - 7070 दिल वफ़ा इलाज शिकायत इन्तज़ार आरज़ू दर्द गुनाह शम्मा महफिल उम्मीद शायरी

 

7066
किससे उम्मीद करें,
कोई इलाज--दिलकी...
चारागर भी तो बहुत,
दर्दका मारा निकला...!
                    लुत्फ़ु र्रहमान

7067
उम्मीद ऐसी न थी
महफिलके अर्बाब-ए-बसीरतसे
गुनाह-ए-शम्माको भी
जुर्म-ए-परवाना बना देंगे
क़लीम आजिज़

7068
तेरी उम्मीद, तिरा इन्तज़ार,
कबसे हैं...
ना शबको दिनसे शिकायत,
ना दिनको शबसे हैं.......!
                                      फैज़

7069
रही ना ताक़त--गुफ़्तार,
और अगर हो भी तो...
किस उम्मीदपें कहिये की,
आरज़ू क्या हैं.......
ग़ालिब

7070
अब वफ़ाकी उम्मीदभी,
किससे करे भला...
मिटटीके बने लोग,
कागजोमें बिक जाते हैं...!
                  अल्ताफ़ हुसैन हाली