7066
किससे उम्मीद करें,
कोई इलाज-ए-दिलकी...
चारागर भी तो बहुत,
दर्दका मारा निकला...!
लुत्फ़ु र्रहमान
7067उम्मीद ऐसी न थीमहफिलके अर्बाब-ए-बसीरतसेगुनाह-ए-शम्माको भीजुर्म-ए-परवाना बना देंगेक़लीम आजिज़
7068
तेरी उम्मीद, तिरा इन्तज़ार,
कबसे हैं...
ना शबको दिनसे शिकायत,
ना दिनको शबसे हैं.......!
फैज़
तेरी उम्मीद, तिरा इन्तज़ार,
कबसे हैं...
ना शबको दिनसे शिकायत,
ना दिनको शबसे हैं.......!
फैज़
7069रही ना ताक़त-ए-गुफ़्तार,और अगर हो भी तो...किस उम्मीदपें कहिये की,आरज़ू क्या हैं.......ग़ालिब
7070
अब वफ़ाकी उम्मीदभी,
किससे करे भला...
मिटटीके बने लोग,
कागजोमें बिक जाते हैं...!
अल्ताफ़ हुसैन हाली