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31 May 2020

5951 - 5955 दिल संगीत चिंगारी फजूल चाह राह यार पत्थर शायरी



5951
झरनोंसे मधुर संगीत,
सुनाई देता...
अगर राहोमें उनके,
पत्थर होते.......

5952
फजूल ही पत्थर रगङ कर,
आदमीने चिंगारीकी खोज की;
अब तो आदमी,
आदमी से जलता हैं...

5953
पत्थर मुझे कहता हैं,
मेरा चाहनेवाला...
मैं मोम हूँ,
काश के मुझे छुँकर वो आजमाता...

5954
कोई मुझे भी,
पत्थरसा दिल ला दो यारों...!
आखिर मुझे भी इंसानोकी,
बस्ती में ही जीना हैं...!!!

5955
ख़ुद तराशना पत्थर और ख़ुदा बना लेना,
आदमी को आता है क्या से क्या बना लेना;
अभी सर का लहू थमने पाया,
उधर से एक पत्थर और आया !