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19 October 2018

3446 -3450 दिल ज़िन्दगी मुकम्मल जज़्बात हालात किस्मत कयामत हसरतें कोशिश आँख महसूस शायरी


3446
हो जाएगी मुकम्मल,
उस रोज ज़िन्दगी...।
जब जज़्बात मेरे,
छू लेंगे दिलको तेरे.......।

3447
सफ़र ज़िन्दगीका,
अब मुकम्मल कर लिया मैंने;
हालात ये हैं,
पाँव नहीं, दिल दुखता आया हैं;
तू कयामत तक,
धरनेपर बैठ किस्मत...
मैं कोशिशोसे कभी,
इस्तीफा नहीं दूंगा.......!

3448
महसूस तो होती हैं,
पर मुकम्मल नहीं होती...
कुछ हसरतें आँखोंमें ठहरी रहती हैं,
इंतजार बनकर.......!

3449
उम्रका बढ़ना तो,
दस्तूर-ए-जहाँ हैं;
मगर महसूस ना करो तो,
उम्र बढ़ती कहाँ हैं.......?

3450
खुदको भी कभी,
महसूस कर लिया करो...
कुछ रौनकें खुदसे भी,
हुआ करती हैं.......!