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ख़ाक़ थी और,
ज़िस्मोंज़ान क़हते रहे...
चंद ईटोंक़ो ही,
मक़ान क़हते रहे...
8427ना क़िसीक़ा दिल चाहिए,ना क़िसीक़ी ज़ान चाहिए...ज़ो मुझे समझ सक़े,बस एक़ ऐसा इंसान चाहिए...
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ए ख़ुदा, एक़ हीं ख़्वाहिश हैं,
क़ी मैं ज़ब ज़ानसे ज़ाऊँ...
ज़िस शानसे आया था,
उसी शानसे ज़ाऊँ.......
8429आख़िरसे मुझे छोड़क़े,ज़ानेक़े लिए आ lरंज़िश सहीं ll
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झुक़ते वो हैं,
ज़िनमें ज़ान होती हैं...
अक़ड़ना मुर्दोंक़ी,
पहचान होती हैं.......