7086
दीवानगी हो, अक़्ल हो,
उम्मीद हो, कि आस...
अपना वही हैं वक़्तपें,
जो काम आ गया.......
7087मुझे दुश्मनसे भी ख़ुद्दारीकी,उम्मीद रहती हैं ;किसीका भी हो,सर क़दमोंमें अच्छा नहीं लगता...
7088
दश्त-ए-इम्कांमें कभी,
शक़्ल-ए-चमन बनही गयी...
इस उम्मीद-ए-ख़ाम पर हूँ,
आशियाँ-बर-दोश मैं.......
7089उम्मीदसे कम,चश्म-ए-खरीदारमें आए,हम लोग ज़रा...देरसे बाजारमें आए.......!
7090
उम्मीद वक़्तका,
सबसे बड़ा सहारा हैं l
ग़र हौसला हैं तो,
हर मौजमें किनारा हैं ll