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25 January 2021

7086 - 7090 दीवानगी ख़ुद्दारी हौसला वक़्त क़दम आस उम्मीद शायरी

 

7086
दीवानगी हो, अक़्ल हो,
उम्मीद हो, कि आस...
अपना वही हैं वक़्तपें,
जो काम गया.......

7087
मुझे दुश्मनसे भी ख़ुद्दारीकी,
उम्मीद रहती हैं ;
किसीका भी हो,
सर क़दमोंमें अच्छा नहीं लगता...

7088
दश्त--इम्कांमें कभी,
शक़्ल--चमन बनही गयी...
इस उम्मीद--ख़ाम पर हूँ,
आशियाँ-बर-दोश मैं.......

7089
उम्मीदसे कम,
चश्म--खरीदारमें आए,
हम लोग ज़रा...
देरसे बाजारमें आए.......!

7090
उम्मीद वक़्तका,
सबसे बड़ा सहारा हैं l
ग़र हौसला हैं तो,
हर मौजमें किनारा हैं ll