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17 February 2021

7176 - 7180 दुआ इश्क़ इख़्तियार वफ़ा क़दम दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7176
मुझे जो दोस्ती हैं,
उसको दुश्मनी मुझसे...
इख़्तियार हैं उसका,
मेरा चारा हैं.......

7177
मुझे दुश्मनसे,
अपने इश्क़सा हैं...
मैं तन्हा आदमीकी,
दोस्ती हूँ.......
बाक़र मेहदी

7178
जो दोस्त हैं वो माँग,
ते हैं सुल्हकी दुआ;
दुश्मन ये चाहते हैं कि,
आपसमें जंग हो.......!
            लाला माधव राम जौहर

7179
वफ़ापर दग़ा,
सुल्हमें दुश्मनी हैं...
भलाईका हरगिज़,
ज़माना नहीं हैं.......

7180
हर क़दमपें नाकामी,
हर क़दमपें महरूमी...
ग़ालिबन कोई,
दुश्मन दोस्तोंमें शामिल हैं...!
                     अमीर क़ज़लबाश