5246
तुमसे ही रूठकर,
तुम्ही को
याद करते हैं...
हमे तो ठीकसे,
नाराज़ होना
भी नही आता...!
5247
बस इतनाही याद रखना
की,
दुनियाके
किसी कोनेमें,
एक इन्सान है;
जो बहोत खुश
है,
क्योंकी
तुम खुश हो...!
5248
नींदको आज
भी,
शिकवा है
मेरी आँखोंसे...
मैने आने न
दिया उसको,
कभी
तेरी याद से
पहले...!
5249
खामोश रहकर भी,
मुझे हर बात
बताते है तेरी...
कुछ फूल किताबो
के,
आज भी याद
दिलाते हैं तेरी...!
5250
मुझे कुछ नहीं
कहना,
बस इतनी गुज़ारिश
है...
मुझे तुम उतने
ही मिल जाओ,
जितने याद आते
हो.......!