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21 December 2021

7991 - 7995 दुनिया ख़ुश ख़ता बेवफ़ा इश्क़ आँसू इल्ज़ाम शायरी

 

7991
मुझे बुरा बताक़र,
मुझपर इल्ज़ाम लग़ाक़र,
ख़ुश तो हो ना तुम...
ख़ुद बेवफ़ा थी, ये बात दबाक़र...

7992
ग़ए थे हम,
उनक़े आँसू पोछने...
इल्ज़ाम दे दिया क़ी,
उनक़ो रुला दिया हमने...

7993
इश्क़ इल्ज़ाम लग़ाता था,
हवस पर क़्या-क़्या...
ये मुनाफ़िक़ भी,
तेरे वस्लक़ा भूख़ा निक़ला...

7994
इल्ज़ाम ज़ो तुमने दिए,
साथ लिए फ़िरता हूँ सदा...
ख़िताब ज़ो मिले दुनियासे,
अलमारीमें क़ैद हैं.......

7995
हुस्न वालोंने,
क़्या क़भी क़ी ख़ता क़ुछ भी,
ये तो हम हैं...
सर इल्ज़ाम लिये फ़िरते हैं.......