Showing posts with label देख फूल वफा खिल मुरझा शायरी. Show all posts
Showing posts with label देख फूल वफा खिल मुरझा शायरी. Show all posts

28 March 2017

1153 देख फूल वफा खिल मुरझा शायरी


1153
तुमने अभी देखी ही कहाँ हैं,
हमारी फूलों जैसी वफा,
हम जिसपर खिलते हैं,
उसीपर मुरझा जाते हैं...