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8 August 2017

1631 - 1635 मोहब्बत दुनियाँ नसीब चाहतें तन्हाई रिश्ते शर्त साजिशें शरारतें बिखर बात खेल


1631
हर किसीके नसीबमें,
कहाँ लिखी होती हैं चाहतें...,
कुछ लोग दुनियाँमें आते है,
सिर्फ तन्हाईयोंके लिए...!

1632
हर रिश्तेमें सिर्फ नूर बरसेगा...
शर्त बस इतनी हैं कि
रिश्तेमें शरारतें करो,
साजिशें नहीं...।

1633
क्यूँ खेलते हैं वो हमसे,
मोहब्बतका खेल,
बात बातमें रूठ वो जाते हैं,
और टूटकर बिखर जाते हैं हम !!!

1634
रखा करो नजदीकियाँ...
ज़िन्दगीका कुछ भरोसा नहीं...
फिर मत कहना चले भी गए,
और बताया भी नहीं...

1635
तन्हाई... सौ गुना बेहतर हैं...
झूठे वादोंसे ...
झूठे लोगोंसे .......