Showing posts with label नजर अच्छा बुरा हक़ीक़त शायरी. Show all posts
Showing posts with label नजर अच्छा बुरा हक़ीक़त शायरी. Show all posts

5 December 2016

808 नजर अच्छा बुरा हक़ीक़त शायरी


808

Haqeeqat, Fact

किसीकी नजरमें अच्छा हूँ ...
किसीकी नजरमें बुरा हूँ
हक़ीक़त तो ये हैं कि,
जो जैसा हैं उसकी नजरमें वैसा हूँ ।।

I am Good in someone's Eyes ...
Bad in Others .
The Fact is that,
I appears alike the one as himself.