Showing posts with label निख़र रंग़ दर्द सोच समझ अल्फ़ाज़ बयाँ बात शायरी. Show all posts
Showing posts with label निख़र रंग़ दर्द सोच समझ अल्फ़ाज़ बयाँ बात शायरी. Show all posts

17 August 2023

9881 - 9885 मोहब्बत मुस्क़ुरा आँख़ें ज़रूरी ख़बर क़दर मालूम हसरत बात शायरी

 
9881
क़भी मुस्क़ुराती आँख़ें भी,
क़र देती हैं क़ई दर्द याँ...
हर बातक़ो रोक़र ही बताना,
ज़रूरी तो नहीं.......

9882
एक़ बात सीख़ी हैं रंग़ोंसे,
अग़र निख़रना हैं,
तो बिख़रना ज़रूरी हैं.......!

9883
ज़रूरी नहीं क़ि तू मेरी हर बात समझे,
ज़रूरी ये हैं क़ि तू मुझे क़ुछ तो समझे,
बस एक़ बातक़ी उसक़ो ख़बर ज़रूरी हैं l
क़ि वो हमारे लिए क़िस क़दर ज़रूरी हैं ll

9884
नहीं मालूम हसरत हैं,
या तू मेरी मोहब्बत हैं ;
बस इतनीसी बात ज़ानता हूँ क़ि,
मुझक़ो तेरी ज़रूरत हैं.......

9885
अच्छा सुनो ना,
ज़रूरी नहीं हर बार अल्फ़ाज़ हीं हो...
क़भी ऐसा भी हो,
क़ि मैं सोचूं...
और तुम बात समझ ज़ाओ.......!!!