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शाम-ए-महेफिल !
चलो कुछ पुराने दोस्तोंके,
दरवाज़े खटखटाते हैं,
देखते हैं उनके पंख थक चुके हैं,
या अभी भी फड़फड़ाते हैं,
हँसते हैं खिलखिलाकर,
या होंठ बंद कर मुस्कुराते हैं,
वो बता देतें हैं सारी आपबीती,
या सिर्फ सफलताएं सुनाते हैं,
हमारा चेहरा देख वो,
अपनेपनसे मुस्कुराते हैं,
या घड़ीकी और देखकर,
हमें जानेका वक़्त बताते हैं,
चलो कुछ पुराने दोस्तोंके,
दरवाज़े खटखटाते हैं !