Showing posts with label प्यार शर्त हालत रूसवाई नफरत गजब दूरियाँ वक्त अजीब नज़दीकियाँ शायरी. Show all posts
Showing posts with label प्यार शर्त हालत रूसवाई नफरत गजब दूरियाँ वक्त अजीब नज़दीकियाँ शायरी. Show all posts

11 December 2017

2061 - 2065 प्यार शर्त हालत रूसवाई नफरत गजब दूरियाँ वक्त अजीब नज़दीकियाँ शायरी


2061
न पूछो हालत मेरी रूसवाईके बाद,
मंजिल खो गयी हैं मेरी, जुदाईके बाद,
नजरको घेरती हैं हरपल घटा यादोंकी,
गुमनाम हो गया हूँ गम-ए-तन्हाईके बाद !

2062
नफरत करने वाले भी,
गजबका प्यार करते हैं मुझे,
जब भी मिलते हैं;
तो कहते हैं, "तुझे छोड़ेंगे नहीं..."

2063
रातकी मुट्ठीमें,
एक सुबह भी हैं
शर्त हैं की पहले,
जी भर अँधेरा तो देख ले...

2064
मौतके मारोंको,
यहाँ हजार कंधे मिल जाते हैं,
कोई नहीं चलता,
पर वक्तके मारोंके साथ...

2065
कितनी अजीब बात हैं.......
दूरियाँ सिखाती हैं कि,
नज़दीकियाँ क्या होती हैं?