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15 June 2017

1399 प्यार सांवरी आरज़ू डर गुस्ताखी नाराज़ खामोश धड़कन शायरी


1399
ऐ सांवरी सुन ना....

एक आरज़ू सी दिलमें,
अक्सर छुपाये फिरता हूँ…
प्यार करता हूँ तुझसे,
पर कहनेसे डरता हूँ…
नाराज़ ना हो जाओ,
कहीं मेरी गुस्ताखीसे तुम…
इसलिए खामोश रहकर भी,
तेरी धड़कनको सुना करता हूँ. . .