3786
हर चीज़ ले
लेते हो दिलपर,
बस मुझे छोड़कर.......
3787
बेचैनियाँ समेटकर,
सारे
जहानकी...
जब कुछ न
बना सका,
तो
मेरा दिल बना
दिया...
3788
आज फिर दिल,
दिमागके करीब
हो गया...
आज फिर एक रिश्ता,
गरीब हो गया.......
3789
दिलमें तेरी
ही यादें हैं,
जुबांपें तेरा
ही ज़िक्र हैं;
मैं कहता हूँ
ये इश्क़ हैं,
तू कहती हैं बस फ़िक़्र हैं...!
3790
इस दिलसे
बड़ी,
कोई क़ब्र नहीं हैं...l
रोज़ कोई ना
कोई,
एहसास दफ़न होता हैं...ll