Showing posts with label बेवक्त बेवज़ह दुश्मन हरा हार मुस्करा शायरी. Show all posts
Showing posts with label बेवक्त बेवज़ह दुश्मन हरा हार मुस्करा शायरी. Show all posts

5 November 2016

697 बेवक्त बेवज़ह दुश्मन हरा हार मुस्करा शायरी


697

Haar, Relinquish

हम बेवक्त बेवज़ह,
मुस्करा देते हैं...
कई दुश्मनोंको हम,
यूँ ही हरा देते हैं......
Unseasonably Thoughtlessly 
I smile,
To lot many Enemies
I Relinquish in this way...