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28 February 2021

7211 - 7215 बेशक खामोश अल्फ़ाज़ इलाज गुनहगार उम्र उम्मीद दोस्त यार शायरी

 

7211
दोस्त बेशक एक हो,
लेकिन ऐसा हो...
जो अल्फ़ाज़से ज्यादा,
खामोशीको समझें.......!

7212
उम्रकी चादर,
खींचकर उतार देते हैं ;
ये कम्बख्त दोस्त,
कभी बूढ़ा नहीं होने देते हैं l
दोस्तोंसे बातें किया करो जनाब,
ये वो हक़ीम हैं ;
जो अल्फ़ाज़से इलाज कर देते हैं ll

7213
यह कहाँ की दोस्ती हैं,
कि बने हैं दोस्त नासेह...
कोई चारासाज होता,
कोई गमगुसार होता.......
                          मिर्जा गालिब

7214
मैं वो ग़म-दोस्त हूँ,
जब कोई ताज़ा ग़म हुआ पैदा...
निकला एक भी मेरे सिवा,
उम्मीद-वारोंमें........
हैदर अली आतिश

7215
दोस्त, तू मुझे...
गुनहगार साबित करनेकी,
ज़हमत ना उठा...l
बस ये बता, क्या-क्या कुबूल करना हैं,
जिससे दोस्ती बनी रहें.......ll