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15 January 2021

7041 - 7045 मंज़िल ख़्वाब यार ज़िद्द तसल्ली जिन्दगी उम्मीद शायरी

 

7041
मंज़िल हैं, मंज़िलकी हैं,
कोई दूर तक उम्मीद...
ये किस रस्तेपें मुझको,
मेरा रहबर लेके आया हैं.......

7042
ख़्वाब--उम्मीदका हक़,
आहका फ़रियादका हक़...
तुझपें वार आए हैं,
ये तेरे दिवाने क्या क्या...

7043
मुद्दतें बीत गयी आज,
पर यार--ज़िद्द ना गयी...
बंद कर दिए गए दरवाजे,
मगर उम्मीद ना गयी.......!

7044
आस क्या अब तो,
उम्मीद--ना-उम्मीदी भी नहीं...
कौन दे मुझको तसल्ली,
कौन बहलाए मुझे.......
अमीरुल्लाह तस्लीम

7045
तुम भुला दो मुझे,
ये तुम्हारी अपनी हिम्मत हैं ;
पर मुझसे तुम ये उम्मीद,
जिन्दगी भर मत रखना.......!