7041
न मंज़िल हैं, न मंज़िलकी हैं,
कोई दूर तक उम्मीद...
ये किस रस्तेपें मुझको,
मेरा रहबर लेके आया हैं.......
7042ख़्वाब-ओ-उम्मीदका हक़,आहका फ़रियादका हक़...तुझपें वार आए हैं,ये तेरे दिवाने क्या क्या...
7043
मुद्दतें बीत गयी आज,
पर यार-ए-ज़िद्द ना गयी...
बंद कर दिए गए दरवाजे,
मगर उम्मीद ना गयी.......!
7044आस क्या अब तो,उम्मीद-ए-ना-उम्मीदी भी नहीं...कौन दे मुझको तसल्ली,कौन बहलाए मुझे.......अमीरुल्लाह तस्लीम
7045
तुम भुला दो मुझे,
ये तुम्हारी अपनी हिम्मत हैं ;
पर मुझसे तुम ये उम्मीद,
जिन्दगी
भर मत रखना.......!