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26 August 2022

9046 - 9050 मंज़िल दुनिया फ़ैसला वास्ते राह शायरी

 

9046
मंज़िलें सम्तें बदलती ज़ा रही हैं,
रोज़ शब...
इस भरी दुनियामें हैं,
इंसान तन्हा राह-रौ.......
                                फ़ुज़ैल ज़ाफ़री

9047
क़िसीक़े वास्ते,
राहें क़हाँ बदलती हैं...
तुम अपने आपक़ो,
ख़ुद ही बदल सक़ो तो चलो...!
निदा फ़ाज़ली

9048
चलो ज़ो भी हुआ,
हम मानक़े राहें बदलते हैं...
मुझे अब फ़ैसलोंमें,
क़ोई दुश्वारी नहीं आती...!!!
                               राबिआ बसरी

9049
बहुत आसान,
हो सक़ती थीं राहें...
हमें चलना,
ग़वारा ही नहीं था...
मुनीर अनवर

9050
राह बड़ी सीघी हैं !
मोड़ तो सारे मनक़े हैं...!